काले चावल की खेती से किसानों की होगी बंपर कमाई, ₹250 से ₹500 किलो है बाजार भाव Black Rice Farming

Black Rice Farming: अगर आप एक किसान है और चावल की खेती करते हैं तो आज इस आर्टिकल में हम आपको काले चावल की एक नई वैरायटी के बारे में जानकारी देने वाले हैं। दरअसल किसान खरीफ के मौसम में इस काले चावल की खेती कर सकते हैं। इसका बाजार भाव 250 रुपए से लेकर ₹500 प्रति किलो है। जिससे किसानों को काले चावल की खेती करने पर अच्छा मुनाफा हो सकता है।

काले चावल में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं इसके लिए इसकी बाजार में बहुत ज्यादा डिमांड है। मार्केट में काले चावल की ज्यादा डिमांड होने के कारण इसकी बाजार कीमत भी बहुत ज्यादा है जिसका लाभ किसान प्राप्त कर सकते हैं।

अगर आप एक किसान है और खरीफ के सीजन में काले चावल की खेती करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अधिक उत्पादन के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना होगा। काली धान की किस्म की अगर हम बात करें तो कालबाती और चुखाव की यह दो किस्में काली धान में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली मानी जाती है।

अगर आप भी खरीफ के सीजन में काले चावल की खेती करना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले आपको अपने खेत को तैयार करना होगा। कृषि विज्ञान केंद्र के अनुसार कई धान की खेती से पहले आपको अपने खेत की जुताई पहले हल के माध्यम से और बाद में कल्टीवेटर के माध्यम से 2 या 3 बार करनी होगी।

इसके अलावा धान की खेती करने वाले किसानों को बारिश से पहले अपने खेतों की मेडबंदी करनी चाहिए। ताकि बारिश का पानी खेतों को ज्यादा नुकसान न पहुंच सके। धान की रोपाई करते समय अपने खेतों को अच्छी तरह पानी से भरकर जुताई कर दे इसके बाद ध्यान रहे की खेत पूरी तरीके से समतल हो चुका हो।

काली धान की विशेषता

हमारे देश भारत में भी धान की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है परंतु हमारे देश में सफेद धान उगाई जाती है इसका इस्तेमाल पूरे देश में किया जाता है लेकिन आज हम बात कर रहे हैं काली धान की, काली धान का पौधा सामान्य धान के पौधे से थोड़ा बड़ा होता है। हमारे देश में काली धान की शुरुआत सबसे पहले मणिपुर में हुई है और यहां इसकी खेती चीन से आई है क्योंकि चीन में अधिकतर किसान काली धान की खेती करते हैं। मणिपुर के अलावा हमारे देश के असम, सिक्किम और उड़ीसा राज्य में भी काली धान की खेती की जाने लगी है।

काली धान का पौधा 4.5 फीट की ऊंचाई तक बढ़ता है एवं 100 से 120 दिनों के अंदर यह पूरी तरीके से पक कर तैयार हो जाता है।

15 क्विंटल प्रति एकड़ होता है उत्पादन

अगर हम काली धान की उत्पादन क्षमता की बात करें तो प्रति एकड़ इस धान को 15 क्विंटल तक उत्पादित किया जा सकता है। काली धान का उपयोग विभिन्न प्रकार की औषधियां में भी किया जाता है। काला चावल का आटा, सूजी, सिरप, बीयर, वाइन, केक, ब्रेड, लड्डू कुछ मीठे खाद्य पदार्थ एवं ब्यूटी प्रोडक्ट्स में भी किया जाता है।

₹250 से ₹500 है कीमत

अगर हम काली धान और काले चावल की कीमत की बात करें तो बाजार में इसकी कीमत ₹250 से लेकर ₹500 प्रति किलो तक है। काली धान की खेती तो आम धान की तरह ही होती है। लेकिन इसका चावल आम चावल की तुलना में काफी ज्यादा महंगा बिकता है। इसके पीछे बड़ा कारण मार्केट में इसकी डिमांड एवं काले चावल में पाए जाने वाले पोषक तत्व हैं। जहां एक और हमारे देश में सामान्य चावल ₹50 से लेकर 60 रुपए किलो तक बिक रहा है वहीं काला चावल ₹250 से लेकर ₹500 किलो तक बिकता है।

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